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हाग्गै 2:9-20 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

9. इस भवन की पिछली महिमा इसकी पहिली महिमा से बड़ी होगी, सेनाओं के यहोवा का यही वचन है, और इस स्थान में मैं शान्ति दूंगा, सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है॥

10. दारा के दूसरे वर्ष के नौवें महीने के चौबीसवे दिन को, यहोवा का यह वचन हाग्गै भविष्यद्वक्ता के पास पहुंचा,

11. सेनाओं का यहोवा यों कहता है: याजकों से इस बात की व्यवस्था पूछ,

12. यदि कोई अपने वस्त्र के आंचल में पवित्र मांस बान्ध कर, उसी आंचल से रोटी वा पकाए हुए भोजन वा दाखमधु वा तेल वा किसी प्रकार के भोजन को छुए, तो क्या वह भोजन पवित्र ठहरेगा? याजकों ने उत्तर दिया, नहीं।

13. फिर हाग्गै ने पूछा, यदि कोई जन मनुष्य की लोथ के कारण अशुद्ध हो कर ऐसी किसी वस्तु को छुए, तो क्या वह अशुद्ध ठहरेगी? याजकों ने उत्तर दिया, हां अशुद्ध ठहरेगी।

14. फिर हाग्गै ने कहा, यहोवा की यही वाणी है, कि मेरी दृष्टि में यह प्रजा और यह जाति वैसी ही है, और इनके सब काम भी वैसे हैं; और जो कुछ वे वहां चढ़ाते हैं, वह भी अशुद्ध है;

15. अब सोच-विचार करो कि आज से पहिले अर्थात जब यहोवा के मन्दिर में पत्थर पर पत्थर रखा ही नहीं गया था,

16. उन दिनों में जब कोई अन्न के बीस नपुओं की आशा से जाता, तब दास ही पाता था, और जब कोई दाखरस के कुण्ड के पास इस आशा से जाता कि पचास बर्तन भर निकालें, तब बीस ही निकलते थे।

17. मैं ने तुम्हारी सारी खेती को लू और गरूई और ओलों से मारा, तौभी तुम मेरी ओर न फिरे, यहोवा की यही वाणी है।

18. अब सोच-विचार करो, कि आज से पहिले अर्थात जिस दिन यहोवा के मन्दिर की नेव डाली गई, उस दिन से ले कर नौवें महीने के इसी चौबीसवें दिन तक क्या दशा थी? इसका सोच-विचार करो।

19. क्या अब तक बीच खत्ते में है? अब तक दाखलता और अंजीर और अनार और जलपाई के वृक्ष नहीं फले, परन्तु आज के दिन से मैं तुम को आशीष देता रहूंगा॥

20. उसी महीने के चौबीसवें दिन को दूसरी बार यहोवा का यह वचन हाग्गै के पास पहुंचा, यहूदा के अधिपति जरूब्बाबेल से यों कह :

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