6. हे प्रिय और मनभावनी कुमारी, तू कैसी सुन्दर और कैसी मनोहर है!
7. तेरा डील डौल खजूर के समान शानदार है और तेरी छातियां अंगूर के गुच्छों के समान हैं॥
8. मैं ने कहा, मैं इस खजूर पर चढ़कर उसकी डालियों को पकडूंगा। तेरी छातियां अंगूर के गुच्छे हो, और तेरी श्वास का सुगन्ध सेबों के समान हो,
9. और तेरे चुम्बन उत्तम दाखमधु के समान हैं जो सरलता से ओठों पर से धीरे धीरे बह जाती है॥
10. मैं अपनी प्रेमी की हूं। और उसकी लालसा मेरी ओर नित बनी रहती है।
11. हे मेरे प्रेमी, आ, हम खेतों में निकल जाएं और गांवों में रहें;
12. फिर सबेरे उठ कर दाख की बारियों में चलें, और देखें कि दाखलता में कलियें लगी हैं कि नहीं, कि दाख के फूल खिलें हैं या नहीं, और अनार फूले हैं वा नहीं वहां मैं तुझ को अपना प्रेम दिखाऊंगी।
13. दोदाफलों से सुगन्ध आ रही है, और हमारे द्वारों पर सब भांति के उत्तम फल हैं, नये और पुराने भी, जो, हे मेरे प्रेमी, मैं ने तेरे लिये इकट्ठे कर रखे हैं॥