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व्यवस्थाविवरण 32:30-39 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

30. यदि उनकी चट्टान ही उन को न बेच देती, और यहोवा उन को औरों के हाथ में न कर देता; तो यह क्योंकर हो सकता कि उनके हजार का पीछा एक मनुष्य करता, और उनके दस हजार को दो मनुष्य भगा देते?

31. क्योंकि जैसी हमारी चट्टान है वैसी उनकी चट्टान नहीं है, चाहे हमारे शत्रु ही क्यों न न्यायी हों॥

32. क्योंकि उनकी दाखलता सदोम की दाखलता से निकली, और अमोरा की दाख की बारियों में की है; उनकी दाख विषभरी और उनके गुच्छे कड़वे हैं;

33. उनका दाखमधु सांपों का सा विष और काले नागों का सा हलाहल है॥

34. क्या यह बात मेरे मन में संचित, और मेरे भण्डारों में मुहरबन्द नहीं है?

35. पलटा लेना और बदला देना मेरा ही काम है, यह उनके पांव फिसलने के समय प्रगट होगा; क्योंकि उनकी विपत्ति का दिन निकट है, और जो दुख उन पर पड़ने वाले है वे शीघ्र आ रहे हैं॥

36. क्योंकि जब यहोवा देखेगा कि मेरी प्रजा की शक्ति जाती रही, और क्या बन्धुआ और क्या स्वाधीन, उन में कोई बचा नहीं रहा, तब यहोवा अपने लोगों का न्याय करेगा, और अपने दासों के विषय में तरस खाएगा॥

37. तब वह कहेगा, उनके देवता कहां हैं, अर्थात वह चट्टान कहां जिस पर उनका भरोसा था,

38. जो उनके बलिदानों की चर्बी खाते, और उनके तपावनोंका दाखमधु पीते थे? वे ही उठ कर तुम्हारी सहायता करें, और तुम्हारी आड़ हों!

39. इसलिये अब तुम देख लो कि मैं ही वह हूं, और मेरे संग कोई देवता नहीं; मैं ही मार डालता, और मैं जिलाता भी हूं; मैं ही घायल करता, और मैं ही चंगा भी करता हूं; और मेरे हाथ से कोई नहीं छुड़ा सकता॥

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