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व्यवस्थाविवरण 32:11-30 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

11. जैसे उकाब अपने घोंसले को हिला हिलाकर अपने बच्चों के ऊपर ऊपर मण्डलाता है, वैसे ही उसने अपने पंख फैलाकर उसको अपने परों पर उठा लिया॥

12. यहोवा अकेला ही उसकी अगुवाई करता रहा, और उसके संग कोई पराया देवता न था॥

13. उसने उसको पृथ्वी के ऊंचे ऊंचे स्थानों पर सवार कराया, और उसको खेतों की उपज खिलाई; उसने उसे चट्टान में से मधु और चकमक की चट्ठान में से तेल चुसाया॥

14. गायों का दही, और भेड़-बकरियों का दूध, मेम्नों की चर्बी, बकरे और बाशान की जाति के मेढ़े, और गेहूं का उत्तम से उत्तम आटा भी; और तू दाखरस का मधु पिया करता था॥

15. परन्तु यशूरून मोटा हो कर लात मारने लगा; तू मोटा और हृष्ट-पुष्ट हो गया, और चर्बी से छा गया है; तब उसने अपने सृजनहार ईश्वर को तज दिया, और अपने उद्धारमूल चट्टान को तुच्छ जाना॥

16. उन्होंने पराए देवताओं को मानकर उस में जलन उपजाई; और घृणित कर्म करके उसको रिस दिलाई॥

17. उन्होंने पिशाचों के लिये जो ईश्वर न थे बलि चढ़ाए, और उनके लिये वे अनजाने देवता थे, वे तो नये नये देवता थे जो थोड़े ही दिन से प्रकट हुए थे, और जिन से उनके पुरखा कभी डरे नहीं।

18. जिस चट्टान से तू उत्पन्न हुआ उसको तू भूल गया, और ईश्वर जिस से तेरी उत्पत्ति हुई उसको भी तू भूल गया है॥

19. इन बातों को देखकर यहोवा ने उन्हें तुच्छ जाना, क्योंकि उसके बेटे-बेटियों ने उसे रिस दिलाई थी॥

20. तब उसने कहा, मैं उन से अपना मुख छिपा लूंगा, और देखूंगा कि उनका अन्त कैसा होगा, क्योंकि इस जाति के लोग बहुत टेढ़े हैं और धोखा देने वाले पुत्र हैं।

21. उन्होंने ऐसी वस्तु मानकर जो ईश्वर नहीं हैं, मुझ में जलन उत्पन्न की; और अपनी व्यर्थ वस्तुओं के द्वारा मुझे रिस दिलाई। इसलिये मैं भी उनके द्वारा जो मेरी प्रजा नहीं हैं उनके मन में जलन उत्पन्न करूंगा; और एक मूढ़ जाति के द्वारा उन्हें रिस दिलाऊंगा॥

22. क्योंकि मेरे कोप की आग भड़क उठी है, जो पाताल की तह तक जलती जाएगी, और पृथ्वी अपनी उपज समेत भस्म हो जाएगी, और पहाड़ों की नेवों में भी आग लगा देगी॥

23. मैं उन पर विपत्ति पर विपत्ति भेजूंगा; और उन पर मैं अपने सब तीरों को छोडूंगा॥

24. वे भूख से दुबले हो जाएंगे, और अंगारों से और कठिन महारोगों से ग्रसित हो जाएंगे; और मैं उन पर पशुओं के दांत लगवाऊंगा, और धूलि पर रेंगने वाले सर्पों का विष छोड़ दूंगा॥

25. बाहर वे तलवार से मरेंगे, और कोठरियों के भीतर भय से; क्या कुंवारे और कुंवारियां, क्या दूध पीता हुआ बच्चा क्या पक्के बाल वाले, सब इसी प्रकार बरबाद होंगे।

26. मैं ने कहा था, कि मैं उन को दूर दूर से तित्तर-बित्तर करूंगा, और मनुष्यों में से उनका स्मरण तक मिटा डालूंगा;

27. परन्तु मुझे शत्रुओं की छेड़ छाड़ का डर था, ऐसा न हो कि द्रोही इस को उलटा समझकर यह कहने लगें, कि हम अपने ही बाहुबल से प्रबल हुए, और यह सब यहोवा से नहीं हुआ॥

28. यह जाति युक्तहीन तो है, और इन में समझ है ही नहीं॥

29. भला होता कि ये बुद्धिमान होते, कि इस को समझ लेते, और अपने अन्त का विचार करते!

30. यदि उनकी चट्टान ही उन को न बेच देती, और यहोवा उन को औरों के हाथ में न कर देता; तो यह क्योंकर हो सकता कि उनके हजार का पीछा एक मनुष्य करता, और उनके दस हजार को दो मनुष्य भगा देते?

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