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विलापगीत 3:26-40 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

26. यहोवा से उद्धार पाने की आशा रख कर चुपचाप रहना भला है।

27. पुरुष के लिये जवानी में जूआ उठाना भला है।

28. वह यह जान कर अकेला चुपचाप रहे, कि परमेश्वर ही ने उस पर यह बोझ डाला है;

29. वह अपना मुंह धूल में रखे, क्या जाने इस में कुछ आशा हो;

30. वह अपना गाल अपने मारने वाले की ओर फेरे, और नामधराई सहता रहे।

31. क्योंकि प्रभु मन से सर्वदा उतारे नहीं रहता,

32. चाहे वह दु:ख भी दे, तौभी अपनी करुणा की बहुतायत के कारण वह दया भी करता है;

33. क्योंकि वह मनुष्यों को अपने मन से न तो दबाता है और न दु:ख देता है।

34. पृथ्वी भर के बंधुओं को पांव के तले दलित करना,

35. किसी पुरुष का हक़ परमप्रधान के साम्हने मारना,

36. और किसी मनुष्य का मुक़द्दमा बिगाड़ना, इन तीन कामों को यहोवा देख नहीं सकता।

37. यदि यहोवा ने आज्ञा न दी हो, तब कौन है कि वचन कहे और वह पूरा हो जाए?

38. विपत्ति और कल्याण, क्या दोनों परमप्रधान की आज्ञा से नहीं होते?

39. सो जीवित मनुष्य क्यों कुड़कुड़ाए? और पुरुष अपने पाप के दण्ड को क्यों बुरा माने?

40. हम अपने चालचलन को ध्यान से परखें, और यहोवा की ओर फिरें!

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