15. तब बोअज ने कहा, जो चद्दर तू ओढ़े है उसे फैलाकर थाम्भ ले। और जब उसने उसे थाम्भा तब उसने छ: नपुए जौ नापकर उसको उठा दिया; फिर वह नगर में चली गई।
16. जब रूत अपनी सास के पास आई तब उसने पूछा, हे बेटी, क्या हुआ? तब जो कुछ उस पुरूष ने उस से किया था वह सब उसने उसे कह सुनाया।
17. फिर उसने कहा, यह छ: नपुए जौ उसने यह कहकर मुझे दिया, कि अपनी सास के पास छूछे हाथ मत जा।
18. उसने कहा, हे मेरी बेटी, जब तक तू न जाने कि इस बात का कैसा फल निकलेगा, तब तक चुपचाप बैठी रह, क्योंकि आज उस पुरूष को यह काम बिना निपटाए चैन न पड़ेगा॥