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यिर्मयाह 32:15-35 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

15. क्योंकि इस्राएल का परमेश्वर सेनाओं का यहोवा यों कहता है, इस देश में घर और खेत ओर दाख की बारियां फिर बेची और मोल ली जाएंगी।

16. जब मैं ने मोल लेने की वह दस्तावेज़ नेरिय्याह के पुत्र बारूक के हाथ में दी, तब मैं ने यहोवा से यह प्रार्थना की,

17. हे प्रभु यहोवा, तू ने बड़े सामर्थ और बढ़ाई हुई भुजा से आकाश और पृथ्वी को बनाया है! तेरे लिये कोई काम कठिन नहीं है।

18. तू हजारों पर करुणा करता रहता परन्तु पूर्वजों के अधर्म का बदला उनके बाद उनके वंष के लोगों को भी देता है, हे महान और पराक्रमी परमेश्वर, जिसका नाम सेनाओं का यहोवा है,

19. तू बड़ी युक्ति करने वाला और सामर्थ के काम करने वाला है; तेरी दृष्टि मनुष्यों के सारे चालचलन पर लगी रहती है, और तू हर एक को उसके चालचलन और कर्म का फल भुगताता है।

20. तू ने मिस्र देश में चिन्ह और चमत्कार किए, और आज तक इस्राएलियों वरन सब मनुष्यों के बीच वैसा करता आया है, और इस प्रकार तू ने अपना ऐसा नाम किया है जो आज के दिन तक बना है।

21. तू अपनी प्रजा इस्राएल को मिस्र देश में से चिन्हों और चमत्कारों और सामथीं हाथ और बढ़ाई हुई भुजा के द्वारा, और बड़े भयानक कामों के साथ निकाल लाया।

22. फिर तू ने यह देश उन्हें दिया जिसके देने की शपथ तू ने उनके पूर्वजों से खाई थी; जिसमें दूध और मधु की धाराएं बहती हैं, और वे आकर इसके अधिकारी हुए।

23. तौभी उन्होंने तेरी नहीं मानी, और न तेरी व्यवस्था पर चले; वरन जो कुछ तू ने उन को करने की आज्ञा दी थी, उस में से उन्होंने कुछ भी नहीं किया। इस कारण तू ने उन पर यह सब विपत्ति डाली है।

24. अब इन दमदमों को देख, वे लोग इस नगर को ले लेने के लिये आ गए हैं, ओर यह नगर तलवार, महंगी और मरी के कारण इन चढ़े हुए कसदियों के वश में किया गया है। जो तू ने कहा था वह अब पूरा हुआ है, और तू इसे देखता भी है।

25. तौभी, हे प्रभु यहोवा, तू ने मुझ से कहा है कि गवाह बुलाकर उस खेत को मोल ले, यद्यपि कि यह नगर कसदियों के वश में कर दिया गया है।

26. तब यहोवा का यह वचन यिर्मयाह के पास पहुंचा, मैं तो सब प्राणियों का परमेश्वर यहोवा हूँ;

27. क्या मेरे लिये कोई भी काम कठिन है?

28. सो यहोवा यों कहता है, देख, मैं यह नगर कसदियों और बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर के वश में कर देने पर हूँ, और वह इस को ले लेगा।

29. जो कसदी इस नगर से युद्ध कर रहे हैं, वे आकर इस में आग लगाकर फूंक देंगे, और जिन घरों की छतों पर उन्होंने बाल के लिये धूप जलाकर और दूसरे देवताओं को तपावन देकर मुझे रिस दिलाई है, वे घर जला दिए जाएंगे।

30. क्योंकि इस्राएल और यहूदा, जो काम मुझे बुरा लगता है, वही लड़कपन से करते आए हैं; इस्राएली अपनी बनाई हुई वस्तुओं से मुझ को रिस ही रिस दिलाते आए हैं, यहोवा की यह वाणी है।

31. यह नगर जब से बसा है तब से आज के दिन तक मेरे क्रोध और जलजलाहट के भड़कने का कारण हुआ है, इसलिये अब मैं इस को अपने साम्हने से इस कारण दूर करूंगा

32. क्योंकि इस्राएल और यहूदा अपने राजाओं हाकिमों, याजकों और भविष्यद्वक्ताओं समेत, क्या यहूदा देश के, क्या यरूशललेम के निवासी, सब के सब बुराई पर बुराई कर के मुझ को रिस दिलाते आए हें।

33. उन्होंने मेरी ओर मुंह नहीं वरन पीठ ही फेर दी है; यद्यपि मैं उन्हें बड़े यत्न से सिखाता आया हूँ, तौभी उन्होंने मेरी शिक्षा को नहीं माना।

34. वरन जो भवन मेरा कहलाता है, उस में भी उन्होंने अपनी घृणित वस्तुएं स्थापन कर के उसे अशुद्ध किया है।

35. उन्होंने हिन्नोमियों की तराई में बाल के ऊंचे ऊंचे स्थान बना कर अपने बेटे-बेटियों को मोलक के लिये होम किया, जिसकी आज्ञा मैं ने कभी नहीं दी, और न यह बात कभी मेरे मन में आई कि ऐसा घृणित काम किया जाए और जिस से यहूदी लोग पाप में फंसे।

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