जंगल में पड़ी हुई जंगली गदही जो कामातुर हो कर वायु सूंघती फिरती है तब कौन उसे वश में कर सकता है? जितने उसको ढूंढ़ते हैं वे व्यर्थ परिश्रम न करें; क्योंकि वे उसे उसकी ॠतु में पाएंगे।