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यहेजकेल 24:12-27 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

12. मैं उसके कारण परिश्रम करते करते थक गया, परन्तु उसका भारी मोर्चा उस से छूटता नहीं, उसका मोर्चा आग के द्वारा भी नहीं छूटता।

13. हे नगरी तेरी अशुद्धता महापाप की है। मैं तो तुझे शुद्ध करना चाहता था, परन्तु तू शुद्ध नहीं हुई, इस कारण जब तक मैं अपनी जलजलाहट तुझ पर शान्त न कर लूं, तब तक तू फिर शुद्ध न की जाएगी।

14. मुझ यहोवा ही ने यह कहा है; और वह हो जाएगा, मैं ऐसा ही करूंगा, मैं तुझे न छोड़ूंगा, न तुझ पर तरस खऊंगा न पछताऊंगा; तेरे चालचलन और कामों ही के अनुसार तेरा न्याय किया जाएगा, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।

15. यहोवा का यह भी वचन मेरे पास पहुंचा,

16. हे मनुष्य के सन्तान, देख, मैं तेरी आंखों की प्रिय को मार कर तेरे पास से ले लेने पर हूँ; परन्तु न तू रोना-पीटना और न आंसू बहाना।

17. लम्बी सांसें ले तो ले, परन्तु वे सुनाईं न पड़ें; मरे हुओं के लिये भी विलाप न करना। सिर पर पगड़ी बान्धे और पांवों में जूती पहने रहना; और न तो अपने होंठ को ढांपना न शोक के योग्य रोटी खाना।

18. तब मैं सवेरे लोगों से बोला, और सांझ को मेरी स्त्री मर गई। और बिहान को मैं ने आज्ञा के अनुसार किया।

19. तब लोग मुझ से कहने लगे, क्या तू हमें न बताएगा कि यह जो तू करता है, इसका हम लोगों के लिये क्या अर्थ है?

20. मैं ने उन को उत्तर दिया, यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा,

21. तू इस्राएल के घराने से कह, प्रभु यहोवा यों कहता है, देखो, मैं अपने पवित्र स्थान को जिसके गढ़ होने पर तुम फूलते हो, और जो तम्हारी आंखों का चाहा हुआ है, और जिस को तुम्हारा मन चाहता है, उसे मैं अपवित्र करने पर हूं; और अपने जिन बेटे-बेटियों को तुम वहां छोड़ आए हो, वे तलवार से मारे जाएंगे।

22. और जैसा मैं ने किया है वैसा ही तुम लोग करोगे, तुम भी अपने होंठ न ढांपोगे, न शोक के योग्य रोटी खाओगे।

23. तूम सिर पर पगड़ी बान्धे और पांवों में जूती पहिने रहोगे, न तुम रोओगे, न छाती पीटोगे, वरन अपने अधर्म के कामों में फंसे हुए गलते जाओगे और एक दूसरे की ओर कराहते रहोगे।

24. इस रीति यहोजकेल तुम्हारे लिये चिन्ह ठहरेगा; जैसा उसने किया, ठीक वैसा ही तुम भी करोगे। और जब यह हो जाए, तब तुम जान लोगे कि मैं परमेश्वर यहोवा हूँ।

25. और हे मनुष्य के सन्तान, क्या यह सच नहीं, कि जिस दिन मैं उनका दृढ़ गढ़, उनकी शोभा, और हर्ष का कारण, और उनके बेटे-बेटियां जो उनकी शोभा, उनकी आंखों का आनन्द, और मन की चाह हैं, उन को मैं उन से ले लूंगा,

26. उसी दिन जो भाग कर बचेगा, वह तेरे पास आकर तुझे समाचार सुनाएगा।

27. उसी दिन तेरा मुंह खुलेगा, और तू फिर चुप न रहेगा परन्तु उस बचे हुए के साथ बातें करेगा। सो तू इन लोगों के लिये चिन्ह ठहरेगा; और ये जान लेंगे कि मैं यहोवा हूँ।

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