पुराना विधान

नया विधान

यशायाह 57:13-18 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

13. जब तू दोहाई दे, तब जिन मूर्तियों को तू ने जमा किया है वह ही तुझे छुड़ाएं! वे तो सब की सब वायु से वरन एक ही फूंक से उड़ जाएंगी। परन्तु जो मेरी शरण लेगा वह देश का अधिकारी होगा, और मेरे पवित्र पर्वत को भी अधिकारी होगा॥

14. और यह कहा जाएगा, पांति बान्ध बान्धकर राजमार्ग बनाओ, मेरी प्रजा के मार्ग में से हर एक ठोकर दूर करो।

15. क्योंकि जो महान और उत्तम और सदैव स्थिर रहता, और जिसका नाम पवित्र है, वह यों कहता है, मैं ऊंचे पर और पवित्र स्थान में निवास करता हूं, और उसके संग भी रहता हूं, जो खेदित और नम्र हैं, कि, नम्र लोगों के हृदय और खेदित लोगों के मन को हषिर्त करूं।

16. मैं सदा मुकद्दमा न लड़ता रहूंगा, न सर्वदा क्रोधित रहूंगा; क्योंकि आत्मा मेरे बनाए हुए हैं और जीव मेरे साम्हने मूच्छिर्त हो जाते हैं।

17. उसके लोभ के पाप के कारण मैं ने क्रोधित हो कर उसको दु:ख दिया था, और क्रोध के मारे उस से मुंह छिपाया था; परन्तु वह अपने मनमाने मार्ग में दूर भटकता चला गया था।

18. मैं उसकी चाल देखता आया हूं, तौभी अब उसको चंगा करूंगा; मैं उसे ले चलूंगा और विशेष कर के उसके शोक करने वालों को शान्ति दूंगा।

पूरा अध्याय पढ़ें यशायाह 57