अध्याय

  1. 1
  2. 2
  3. 3
  4. 4
  5. 5
  6. 6
  7. 7
  8. 8
  9. 9
  10. 10
  11. 11
  12. 12
  13. 13
  14. 14
  15. 15
  16. 16
  17. 17
  18. 18
  19. 19
  20. 20
  21. 21
  22. 22
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  24. 24
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  29. 29
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  34. 34
  35. 35
  36. 36
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  41. 41
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  46. 46
  47. 47
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पुराना विधान

नया विधान

यशायाह 46 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

1. बेल देवता झुक गया, नबो देवता नब गया है, उनकी प्रतिमाएं पशुओं वरन घरैलू पशुओं पर लदी हैं; जिन वस्तुओं को तुम उठाए फिरते थे, वे अब भारी बोझ हो गईं और थकित पशुओं पर लदी हैं।

2. वे नब गए, वे एक संग झुक गए, वे उस भार को छुड़ा नहीं सके, और आप भी बंधुआई में चले गए हैं॥

3. हे याकूब के घराने, हे इस्राएल के घराने के सब बचे हुए लोगो, मेरी ओर कान लगाकर सुनो; तुम को मैं तुम्हारी उत्पत्ति ही से उठाए रहा और जन्म ही से लिए फिरता आया हूं।

4. तुम्हारे बुढ़ापे में भी मैं वैसा ही बना रहूंगा और तुम्हारे बाल पकने के समय तक तुम्हें उठाए रहूंगा। मैं ने तुम्हें बनाया और तुम्हें लिए फिरता रहूंगा;

5. मैं तुम्हें उठाए रहूंगा और छुड़ाता भी रहूंगा॥ तुम किस से मेरी उपमा दोगे और मुझे किस के समान बताओगे, किस से मेरा मिलान करोगे कि हम एक समान ठहरें?

6. जो थैली से सोना उण्डेलते वा कांटे में चान्दी तौलते हैं, जो सुनार को मजदुरी देकर उस से देवता बनवाते हैं, तब वे उसे प्रणाम करते वरन दण्डवत भी करते हैं!

7. वे उसको कन्धे पर उठा कर लिए फिरते हैं, वे उसे उसके स्थान में रख देते और वह वहीं खड़ा रहता है; वह अपने स्थान से हट नहीं सकता; यदि कोई उसकी दोहाई भी दे, तौभी न वह सुन सकता है और न विपत्ति से उसका उद्धार कर सकता है॥

8. हे अपराधियों, इस बात को स्मरण करो और ध्यान दो, इस पर फिर मन लगाओ।

9. प्राचीनकाल की बातें स्मरण करो जो आरम्भ ही से है; क्योंकि ईश्वर मैं ही हूं, दूसरा कोई नहीं; मैं ही परमेश्वर हूं और मेरे तुल्य कोई भी नहीं है।

10. मैं तो अन्त की बात आदि से और प्राचीनकाल से उस बात को बताता आया हूं जो अब तक नहीं हुई। मैं कहता हूं, मेरी युक्ति स्थिर रहेगी और मैं अपनी इच्छा को पूरी करूंगा।

11. मैं पूर्व से एक उकाब पक्षी को अर्थात दूर देश से अपनी युक्ति के पूरा करने वाले पुरूष को बुलाता हूं। मैं ही ने यह बात कही है और उसे पूरी भी करूंगा; मैं ने यह विचार बान्धा है और उसे सफल भी करूंगा।

12. हे कठोर मनवालो तुम जो धर्म से दूर हो, कान लगाकर मेरी सुनो।

13. मैं अपनी धामिर्कता को समीप ले आने पर हूं वह दूर नहीं है, और मेरे उद्धार करने में विलम्ब न होगा; मैं सिय्योन का उद्धार करूंगा और इस्राएल को महिमा दूंगा॥