10. करूणा और सच्चाई आपस में मिल गई हैं; धर्म और मेल ने आपस में चुम्बन किया है।
11. पृथ्वी में से सच्चाई उगती और स्वर्ग से धर्म झुकता है।
12. फिर यहोवा उत्तम पदार्थ देगा, और हमारी भूमि अपनी उपज देगी।
13. धर्म उसके आगे आगे चलेगा, और उसके पांवों के चिन्हों को हमारे लिये मार्ग बनाएगा॥