1. जैसे हरिणी नदी के जल के लिये हांफती है, वैसे ही, हे परमेश्वर, मैं तेरे लिये हांफता हूं।
2. जीवते ईश्वर परमेश्वर का मैं प्यासा हूं, मैं कब जाकर परमेश्वर को अपना मुंह दिखाऊंगा?
3. मेरे आंसू दिन और रात मेरा आहार हुए हैं; और लोग दिन भर मुझ से कहते रहते हैं, तेरा परमेश्वर कहां है?