5. मेरी मूढ़ता के कारण से मेरे कोड़े खाने के घाव बसाते हैं और सड़ गए हैं।
6. मैं बहुत दुखी हूं और झुक गया हूं; दिन भर मैं शोक का पहिरावा पहिने हुए चलता फिरता हूं।
7. क्योंकि मेरी कमर में जलन है, और मेरे शरीर में आरोग्यता नहीं।
8. मैं निर्बल और बहुत ही चूर हो गया हूं; मैं अपने मन की घबराहट से कराहता हूं॥
9. हे प्रभु मेरी सारी अभिलाषा तेरे सम्मुख है, और मेरा कराहना तुझ से छिपा नहीं।
10. मेरा हृदय धड़कता है, मेरा बल घटता जाता है; और मेरी आंखों की ज्योति भी मुझ से जाती रही।
11. मेरे मित्र और मेरे संगी मेरी विपत्ति में अलग हो गए, और मेरे कुटुम्बी भी दूर जा खड़े हुए॥