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भजन संहिता 38:11-17 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

11. मेरे मित्र और मेरे संगी मेरी विपत्ति में अलग हो गए, और मेरे कुटुम्बी भी दूर जा खड़े हुए॥

12. मेरे प्राण के ग्राहक मेरे लिये जाल बिछाते हैं, और मेरी हानि के यत्न करने वाले दुष्टता की बातें बोलते, और दिन भर छल की युक्ति सोचते हैं।

13. परन्तु मैं बहिरे की नाईं सुनता ही नहीं, और मैं गूंगे के समान मूंह नहीं खोलता।

14. वरन मैं ऐसे मनुष्य के तुल्य हूं जो कुछ नहीं सुनता, और जिसके मुंह से विवाद की कोई बात नहीं निकलती॥

15. परन्तु हे यहोवा, मैं ने तुझ ही पर अपनी आशा लगाई है; हे प्रभु, मेरे परमेश्वर, तू ही उत्तर देगा।

16. क्योंकि मैं ने कहा, ऐसा न हो कि वे मुझ पर आनन्द करें; जब मेरा पांव फिसल जाता है, तब मुझ पर अपनी बड़ाई मारते हैं॥

17. क्योंकि मैं तो अब गिरने ही पर हूं, और मेरा शोक निरन्तर मेरे साम्हने है।

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