5. जितने सिय्योन से बैर रखते हैं, उन सभों की आशा टूटे, ओर उन को पीछे हटना पड़े!
6. वे छत पर की घास के समान हों, जो बढ़ने से पहिले सूख जाती है;
7. जिस से कोई लवैया अपनी मुट्ठी नहीं भरता, न पूलियों का कोई बान्धने वाला अपनी अंकवार भर पाता है,
8. और न आने जाने वाले यह कहते हैं, कि यहोवा की आशीष तुम पर होवे! हम तुम को यहोवा के नाम से आशीर्वाद देते हैं!