1. क्या ही धन्य हैं वे जो चाल के खरे हैं, और यहोवा की व्यवस्था पर चलते हैं!
2. क्या ही धन्य हैं वे जो उसकी चितौनियों को मानते हैं, और पूर्ण मन से उसके पास आते हैं!
3. फिर वे कुटिलता का काम नहीं करते, वे उसके मार्गों में चलते हैं।
4. तू ने अपने उपदेश इसलिये दिए हैं, कि वे यत्न से माने जाएं।
5. भला होता कि तेरी विधियों के मानने के लिये मेरी चालचलन दृढ़ हो जाए!
6. तब मैं तेरी सब आज्ञाओं की ओर चित्त लगाए रहूंगा, और मेरी आशा न टूटेगी।
7. जब मैं तेरे धर्ममय नियमों को सीखूंगा, तब तेरा धन्यवाद सीधे मन से करूंगा।
8. मैं तेरी विधियों को मानूंगा: मुझे पूरी रीति से न तज!
9. जवान अपनी चाल को किस उपाय से शुद्ध रखे? तेरे वचन के अनुसार सावधान रहने से।
10. मैं पूरे मन से तेरी खोज मे लगा हूं; मुझे तेरी आज्ञाओं की बाट से भटकने न दे!
11. मैं ने तेरे वचन को अपने हृदय में रख छोड़ा है, कि तेरे विरुद्ध पाप न करूं।
12. हे यहोवा, तू धन्य है; मुझे अपनी विधियां सिखा!
13. तेरे सब कहे हुए नियमों का वर्णन, मैं ने अपने मुंह से किया है।
14. मैं तेरी चितौनियों के मार्ग से, मानों सब प्रकार के धन से हर्षित हुआ हूं।
15. मैं तेरे उपदेशों पर ध्यान करूंगा, और तेरे मार्गों की ओर दृष्टि रखूंगा।
16. मैं तेरी विधियों से सुख पाऊंगा; और तेरे वचन को न भूलूंगा॥