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भजन संहिता 105:12-32 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

12. उस समय तो वे गिनती में थोड़े थे, वरन बहुत ही थोड़े, और उस देश में परदेशी थे।

13. वे एक जाति से दूसरी जाति में, और एक राज्य से दूसरे राज्य में फिरते रहे;

14. परन्तु उसने किसी मनुष्य को उन पर अन्धेर करने न दिया; और वह राजाओं को उनके निमित्त यह धमकी देता था,

15. कि मेरे अभिषिक्तों को मत छुओ, और न मेरे नबियों की हानि करो!

16. फिर उसने उस देश में अकाल भेजा, और अन्न के सब आधार को दूर कर दिया।

17. उसने यूसुफ नाम एक पुरूष को उन से पहिले भेजा था, जो दास होने के लिये बेचा गया था।

18. लोगों ने उसके पैरों में बेड़ियां डाल कर उसे दु:ख दिया; वह लोहे की सांकलों से जकड़ा गया;

19. जब तक कि उसकी बात पूरी न हुई तब तक यहोवा का वचन उसे कसौटी पर कसता रहा।

20. तब राजा ने दूत भेज कर उसे निकलवा लिया, और देश देश के लोगों के स्वामी ने उसके बन्धन खुलवाए;

21. उसने उसको अपने भवन का प्रधान और अपनी पूरी सम्पत्ति का अधिकारी ठहराया,

22. कि वह उसके हाकिमों को अपनी इच्छा के अनुसार कैद करे और पुरनियों को ज्ञान सिखाए॥

23. फिर इस्राएल मिस्त्र में आया; और याकूब हाम के देश में परदेशी रहा।

24. तब उसने अपनी प्रजा को गिनती में बहुत बढ़ाया, और उसके द्रोहियों से अधिक बलवन्त किया।

25. उसने मिस्त्रियों के मन को ऐसा फेर दिया, कि वे उसकी प्रजा से बैर रखने, और उसके दासों से छल करने लगे॥

26. उसने अपने दास मूसा को, और अपने चुने हुए हारून को भेजा।

27. उन्होंने उनके बीच उसकी ओर से भांति भांति के चिन्ह, और हाम के देश में चमत्कार दिखाए।

28. उसने अन्धकार कर दिया, और अन्धियारा हो गया; और उन्होंने उसकी बातों को न टाला।

29. उसने मिस्त्रियों के जल को लोहू कर डाला, और मछलियों को मार डाला।

30. मेंढक उनकी भूमि में वरन उनके राजा की कोठरियों में भी भर गए।

31. उसने आज्ञा दी, तब डांस आ गए, और उनके सारे देश में कुटकियां आ गईं।

32. उसने उनके लिये जलवृष्टि की सन्ती ओले, और उनके देश में धधकती आग बरसाई।

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