पुराना विधान

नया विधान

भजन संहिता 104:26-35 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

26. उस में जहाज भी आते जाते हैं, और लिव्यातान भी जिसे तू ने वहां खेलने के लिये बनाया है॥

27. इन सब को तेरा ही आसरा है, कि तू उनका आहार समय पर दिया करे।

28. तू उन्हें देता हे, वे चुन लेते हैं; तू अपनी मुट्ठी खोलता है और वे उत्तम पदार्थों से तृप्त होते हैं।

29. तू मुख फेर लेता है, और वे घबरा जाते हैं; तू उनकी सांस ले लेता है, और उनके प्राण छूट जाते हैं और मिट्टी में फिर मिल जाते हैं।

30. फिर तू अपनी ओर से सांस भेजता है, और वे सिरजे जाते हैं; और तू धरती को नया कर देता है॥

31. यहोवा की महिमा सदा काल बनी रहे, यहोवा अपने कामों से आन्दित होवे!

32. उसकी दृष्टि ही से पृथ्वी कांप उठती है, और उसके छूते ही पहाड़ों से धुआं निकलता है।

33. मैं जीवन भर यहोवा का गीत गाता रहूंगा; जब तक मैं बना रहूंगा तब तक अपने परमेश्वर का भजन गाता रहूंगा।

34. मेरा ध्यान करना, उसको प्रिय लगे, क्योंकि मैं तो यहोवा के कारण आनन्दित रहूंगा।

35. पापी लोग पृथ्वी पर से मिट जाएं, और दुष्ट लोग आगे को न रहें! हे मेरे मन यहोवा को धन्य कह! याह की स्तुति करो!

पूरा अध्याय पढ़ें भजन संहिता 104