9. क्योंकि मैं ने रोटी की नाईं राख खाई और आंसू मिला कर पानी पीता हूं।
10. यह तेरे क्रोध और कोप के कारण हुआ है, क्योंकि तू ने मुझे उठाया, और फिर फेंक दिया है।
11. मेरी आयु ढलती हुई छाया के समान है; और मैं आप घास की नाईं सूख चला हूं॥
12. परन्तु हे यहोवा, तू सदैव विराजमान रहेगा; और जिस नाम से तेरा स्मरण होता है, वह पीढ़ी से पीढ़ी तक बना रहेगा।