पुराना विधान

नया विधान

न्यायियों 19:8-17 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

8. पांचवें दिन भोर को वह तो विदा होने को सवेरे उठा; परन्तु स्त्री के पिता ने कहा, अपना जी ठण्डा कर, और तुम दोनों दिन ढलने तक रूके रहो। तब उन दोनों ने रोटी खाई।

9. जब वह पुरूष अपनी सुरैतिन और सेवक समेत विदा होने को उठा, तब उसके ससुर अर्थात स्त्री के पिता ने उस से कहा, देख दिन तो ढला चला है, और सांझ होने पर है; इसलिये तुम लोग रात भर टिके रहो। देख, दिन तो डूबने पर है; सो यहीं आनन्द करता हुआ रात बिता, और बिहान को सवेरे उठ कर अपना मार्ग लेना, और अपने डेरे को चले जाना।

10. परन्तु उस पुरूष ने उस रात को टिकना न चाहा, इसलिये वह उठ कर विदा हुआ, और काठी बान्धे हुए दो गदहे और अपनी सुरैतिन संग लिए हुए यबूस के साम्हने तक (जो यरूशलेम कहलाता है) पहुंचा।

11. वे यबूस के पास थे, और दिन बहुत ढल गया था, कि सेवक ने अपने स्वामी से कहा, आ, हम यबूसियों के इस नगर में मुड़कर टिकें।

12. उसके स्वामी ने उस से कहा, हम पराए नगर में जहां कोई इस्राएली नहीं रहता, न उतरेंगे; गिबा तक बढ़ जाएंगे।

13. फिर उसने अपने सेवक से कहा, आ, हम उधर के स्थानों में से किसी के पास जाएं, हम गिबा वा रामा में रात बिताएं।

14. और वे आगे की ओर चले; और उनके बिन्यामीन के गिबा के निकट पहुंचते पहुंचते सूर्य अस्त हो गया,

15. इसलिये वे गिबा में टिकने के लिये उसकी ओर मुड़ गए। और वह भीतर जा कर उस नगर के चौक में बैठ गया, क्योंकि किसी ने उन को अपने घर में न टिकाया।

16. तब एक बूढ़ा अपने खेत के काम को निपटाकर सांझ को चला आया; वह तो एप्रैम के पहाड़ी देश का था, और गिबा में परदेशी हो कर रहता था; परन्तु उस स्थान के लोग बिन्यामीनी थे।

17. उसने आंखें उठा कर उस यात्री को नगर के चौक में बैठे देखा; और उस बूढ़े ने पूछा, तू किधर जाता, और कहां से आता है?

पूरा अध्याय पढ़ें न्यायियों 19