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न्यायियों 19:22-30 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

22. वे आनन्द कर रहे थे, कि नगर के लुच्चों ने घर को घेर लिया, और द्वार को खटखटा-खटखटाकर घर के उस बूढ़े स्वामी से कहने लगे, जो पुरूष तेरे घर में आया, उसे बाहर ले आ, कि हम उस से भोग करें।

23. घर का स्वामी उनके पास बाहर जा कर उन से कहने लगा, नहीं, नहीं, हे मेरे भाइयों, ऐसी बुराई न करो; यह पुरूष जो मेरे घर पर आया है, इस से ऐसी मूढ़ता का काम मत करो।

24. देखा, यहां मेरी कुंवारी बेटी है, और इस पुरूष की सुरैतिन भी है; उन को मैं बाहर ले आऊंगा। और उनका पत-पानी लो तो लो, और उन से तो जो चाहो सो करो; परन्तु इस पुरूष से ऐसी मूढ़ता का काम मत करो।

25. परन्तु उन मनुष्यों ने उसकी न मानी। तब उस पुरूष ने अपनी सुरैतिन को पकड़कर उनके पास बाहर कर दिया; और उन्होंने उस से कुकर्म किया, और रात भर क्या भोर तक उस से लीला क्रीड़ा करते रहे। और पह फटते ही उसे छोड़ दिया।

26. तब वह स्त्री पह फटते हुए जाके उस मनुष्य के घर के द्वार पर जिस में उसका पति था गिर गई, और उजियाले के होने तक वहीं पड़ी रही।

27. सवेरे जब उसका पति उठ, घर का द्वार खोल, अपना मार्ग लेने को बाहर गया, तो क्या देखा, कि मेरी सुरैतिन घर के द्वार के पास डेवढ़ी पर हाथ फैलाए हुए पड़ी है।

28. उसने उस से कहा, उठ हम चलें। जब कोई न बोला, तब वह उसको गदहे पर लादकर अपने स्थान को गया।

29. जब वह अपने घर पहुंचा, तब छूरी ले सुरैतिन को अंग अंग करके काटा; और उसे बारह टुकड़े करके इस्राएल के देश में भेज दिया।

30. जितनोंने उसे देखा, वे सब आपस में कहने लगे, इस्राएलियों के मिस्र देश मे चले आने के समय से ले कर आज के दिन तक ऐसा कुछ कभी नहीं हुआ, और न देखा गया; सो इस को सोचकर सम्मति करो, और बताओ॥

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