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न्यायियों 16:12-25 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

12. तब दलीला ने नई नई रस्सियां ले कर और उसको बान्धकर कहा, हे शिमशोन, पलिश्ती तेरी घात में हैं! कितने मनुष्य तो उस कोठरी में घात लगाए हुए थे। तब उसने उन को सूत की नाईं अपनी भुजाओं पर से तोड़ डाला।

13. तब दलीला ने शिमशोन से कहा, अब तक तू मुझ से छल करता, और झूठ बोलता आया है; अब मुझे बता दे कि तू काहे से बन्ध सकता है? उसने कहा यदि तू मेरे सिर की सातों लटें ताने में बुने तो बन्ध सकूंगा।

14. सो उसने उसे खूंटी से जकड़ा। तब उस से कहा, हे शिमशोन, पलिश्ती तेरी घात में हैं! तब वह नींद से चौंक उठा, और खूंटी को धरन में से उखाड़कर उसे ताने समेत ले गया।

15. तब दलीला ने उस से कहा, तेरा मन तो मुझ से नहीं लगा, फिर तू क्यों कहता है, कि मैं तुझ से प्रीति रखता हूं? तू ने ये तीनों बार मुझ से छल किया, और मुझे नहीं बताया कि तेरे बड़े बल का भेद क्या है।

16. सो जब उसने हर दिन बातें करते करते उसको तंग किया, और यहां तक हठ किया, कि उसके नाकों में दम आ गया,

17. तब उसने अपने मन का सारा भेद खोल कर उस से कहा, मेरे सिर पर छुरा कभी नहीं फिरा, क्योंकि मैं मां के पेट ही से परमेश्वर का नाजीर हूं, यदि मैं मूड़ा जाऊं, तो मेरा बल इतना घट जाएगा, कि मैं साधारण मनुष्य सा हो जाऊंगा।

18. यह देखकर, कि उसने अपने मन का सारा भेद मुझ से कह दिया है, दलीला ने पलिश्तियों के सरदारों के पास कहला भेजा, कि अब की बार फिर आओ, क्योंकि उसने अपने मन का सब भेद मुझे बता दिया है। तब पलिश्तियों के सरदार हाथ में रूपया लिए हुए उसके पास गए।

19. तब उसने उसको अपने घुटनों पर सुला रखा; और एक मनुष्य बुलवाकर उसके सिर की सातों लटें मुण्डवा डालीं। और वह उसको दबाने लगी, और वह निर्बल हो गया।

20. तब उसने कहा, हे शिमशोन, पलिश्ती तेरी घात में हैं! तब वह चौंककर सोचने लगा, कि मैं पहिले की नाईं बाहर जा कर झटकूंगा। वह तो न जानता था, कि यहोवा उसके पास से चला गया है।

21. तब पलिश्तियों ने उसको पकड़कर उसकी आंखें फोड़ डालीं, और उसे अज्जा को ले जाके पीतल की बेडिय़ों से जकड़ दिया; और वह बन्दीगृह में चक्की पीसने लगा।

22. उसके सिर के बाल मुण्ड जाने के बाद फिर बढ़ने लगे॥

23. तब पलिश्तियों के सरदार अपने दागोन नाम देवता के लिये बड़ा यज्ञ, और आनन्द करने को यह कहकर इकट्ठे हुए, कि हमारे देवता ने हमारे शत्रु शिमशोन को हमारे हाथ में कर दिया है।

24. और जब लोगों ने उसे देखा, तब यह कहकर अपने देवता की स्तुति की, कि हमारे देवता ने हमारे शत्रु और हमारे देश के नाश करने वाले को, जिसने हम में से बहुतों को मार भी डाला, हमारे हाथ में कर दिया है।

25. जब उनका मन मगन हो गया, तब उन्होंने कहा, शिमशोन को बुलवा लो, कि वह हमारे लिये तमाशा करे। इसलिये शिमशोन बन्दीगृह में से बुलवाया गया, और उनके लिये तमाशा करने लगा, और खम्भों के बीच खड़ा कर दिया गया।

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