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नीतिवचन 6:1-14 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

1. हे मेरे पुत्र, यदि तू अपने पड़ोसी का उत्तरदायी हुआ हो, अथवा परदेशी के लिये हाथ पर हाथ मार कर उत्तरदायी हुआ हो,

2. तो तू अपने ही मूंह के वचनों से फंसा, और अपने ही मुंह की बातों से पकड़ा गया।

3. इसलिये हे मेरे पुत्र, एक काम कर, अर्थात तू जो अपने पड़ोसी के हाथ में पड़ चुका है, तो जा, उस को साष्टांग प्रणाम कर के मना ले।

4. तू न तो अपनी आखों में नींद, और न अपनी पलकों में झपकी आने दे;

5. और अपने आप को हरिणी के समान शिकारी के हाथ से, और चिडिय़ा के समान चिडिमार के हाथ से छुड़ा॥

6. हे आलसी, च्यूंटियों के पास जा; उनके काम पर ध्यान दे, और बुद्धिमान हो।

7. उन के न तो कोई न्यायी होता है, न प्रधान, और न प्रभुता करने वाला,

8. तौभी वे अपना आहार धूपकाल में संचय करती हैं, और कटनी के समय अपनी भोजन वस्तु बटोरती हैं।

9. हे आलसी, तू कब तक सोता रहेगा? तेरी नींद कब टूटेगी?

10. कुछ और सो लेना, थोड़ी सी नींद, एक और झपकी, थोड़ा और छाती पर हाथ रखे लेटे रहना,

11. तब तेरा कंगालपन बटमार की नाईं और तेरी घटी हथियारबन्द के समान आ पड़ेगी॥

12. ओछे और अनर्थकारी को देखो, वह टेढ़ी टेढ़ी बातें बकता फिरता है,

13. वह नैन से सैन और पांव से इशारा, और अपनी अगुंलियों से संकेत करता है,

14. उसके मन में उलट फेर की बातें रहतीं, वह लगातार बुराई गढ़ता है और झगड़ा-रगड़ा उत्पन्न करता है।

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