13. मैं ने अपने गुरूओं की बातें न मानी और अपने सिखाने वालों की ओर ध्यान न लगाया।
14. मैं सभा और मण्डली के बीच में प्राय: सब बुराइयों में जा पड़ा॥
15. तू अपने ही कुण्ड से पानी, और अपने ही कूंए से सोते का जल पिया करना।
16. क्या तेरे सोतों का पानी सड़क में, और तेरे जल की धारा चौकों में बह जाने पाए?
17. यह केवल तेरे ही लिये रहे, और तेरे संग औरों के लिये न हो।
18. तेरा सोता धन्य रहे; और अपनी जवानी की पत्नी के साथ आनन्दित रह,