11. और तू अपने अन्तिम समय में जब कि तेरा शरीर क्षीण हो जाए तब यह कह कर हाय मारने लगे, कि
12. मैं ने शिक्षा से कैसा बैर किया, और डांटने वाले का कैसा तिरस्कार किया!
13. मैं ने अपने गुरूओं की बातें न मानी और अपने सिखाने वालों की ओर ध्यान न लगाया।
14. मैं सभा और मण्डली के बीच में प्राय: सब बुराइयों में जा पड़ा॥
15. तू अपने ही कुण्ड से पानी, और अपने ही कूंए से सोते का जल पिया करना।