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नीतिवचन 27:10-19 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

10. जो तेरा और तेरे पिता का भी मित्र हो उसे न छोड़ना; और अपनी विपत्ति के दिन अपने भाई के घर न जाना। प्रेम करने वाला पड़ोसी, दूर रहने वाले भाई से कहीं उत्तम है।

11. हे मेरे पुत्र, बुद्धिमान हो कर मेरा मन आनन्दित कर, तब मैं अपने निन्दा करने वाले को उत्तर दे सकूंगा।

12. बुद्धिमान मनुष्य विपत्ति को आती देख कर छिप जाता है; परन्तु भोले लोग आगे बढ़े चले जाते और हानि उठाते हैं।

13. जो पराए का उत्तरदायी हो उसका कपड़ा, और जो अनजान का उत्तरदायी हो उस से बन्धक की वस्तु ले ले।

14. जो भोर को उठ कर अपने पड़ोसी को ऊंचे शब्द से आशीर्वाद देता है, उसके लिये यह शाप गिना जाता है।

15. झड़ी के दिन पानी का लगातार टपकना, और झगडालू पत्नी दोनों एक से हैं;

16. जो उस को रोक रखे, वह वायु को भी रोक रखेगा और दाहिने हाथ से वह तेल पकड़ेगा।

17. जैसे लोहा लोहे को चमका देता है, वैसे ही मनुष्य का मुख अपने मित्र की संगति से चमकदार हो जाता है।

18. जो अंजीर के पेड़ की रक्षा करता है वह उसका फल खाता है, इसी रीति से जो अपने स्वामी की सेवा करता उसकी महिमा होती है।

19. जैसे जल में मुख की परछाई सुख से मिलती है, वैसे ही एक मनुष्य का मन दूसरे मनुष्य के मन से मिलता है।

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