पुराना विधान

नया विधान

नीतिवचन 25:3-12 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

3. स्वर्ग की ऊंचाई और पृथ्वी की गहराई और राजाओं का मन, इन तीनों का अन्त नहीं मिलता।

4. चान्दी में से मैल दूर करने पर सुनार के लिये एक पात्र हो जाता है।

5. राजा के साम्हने से दुष्ट को निकाल देने पर उसकी गद्दी धर्म के कारण स्थिर होगी।

6. राजा के साम्हने अपनी बड़ाई न करना और बड़े लोगों के स्थान में खड़ा न होना;

7. क्योंकि जिस प्रधान का तू ने दर्शन किया हो उसके साम्हने तेरा अपमान न हो, वरन तुझ से यह कहा जाए, आगे बढ़ कर विराज॥

8. झगड़ा करने में जल्दी न करना नहीं तो अन्त में जब तेरा पड़ोसी तेरा मुंह काला करे तब तू क्या कर सकेगा?

9. अपने पडोसी के साथ वाद विवाद एकान्त में करना और पराये का भेद न खोलना;

10. ऐसा न हो कि सुनने वाला तेरी भी निन्दा करे, और तेरा अपवाद बना रहे॥

11. जैसे चान्दी की टोकरियों में सोनहले सेब हों वैसे ही ठीक समय पर कहा हुआ वचन होता है।

12. जैसे सोने का नथ और कुन्दन का जेवर अच्छा लगता है, वैसे ही मानने वाले के कान में बुद्धिमान की डांट भी अच्छी लगती है।

पूरा अध्याय पढ़ें नीतिवचन 25