14. तू उसका छड़ी से मार कर उसका प्राण अधोलोक से बचाएगा।
15. हे मेरे पुत्र, यदि तू बुद्धिमान हो, तो विशेष कर के मेरा ही मन आनन्दित होगा।
16. और जब तू सीधी बातें बोले, तब मेरा मन प्रसन्न होगा।
17. तू पापियों के विषय मन में डाह न करना, दिन भर यहोवा का भय मानते रहना।
18. क्योंकि अन्त में फल होगा, और तेरी आशा न टूटेगी।