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नीतिवचन 17:8-20 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

8. देने वाले के हाथ में घूस मोह लेने वाले मणि का काम देता है; जिधर ऐसा पुरूष फिरता, उधर ही उसका काम सुफल होता है।

9. जो दूसरे के अपराध को ढांप देता, वह प्रेम का खोजी ठहरता है, परन्तु जो बात की चर्चा बार बार करता है, वह परम मित्रों में भी फूट करा देता है।

10. एक घुड़की समझने वाले के मन में जितनी गड़ जाती है, उतना सौ बार मार खाना मूर्ख के मन में नहीं गड़ता।

11. बुरा मनुष्य दंगे ही का यत्न करता है, इसलिये उसके पास क्रूर दूत भेजा जाएगा।

12. बच्चा-छीनी-हुई-रीछनी से मिलना तो भला है, परन्तु मूढ़ता में डूबे हुए मूर्ख से मिलना भला नहीं।

13. जो कोई भलाई के बदले में बुराई करे, उसके घर से बुराई दूर न होगी।

14. झगड़े का आरम्भ बान्ध के छेद के समान है, झगड़ा बढ़ने से पहिले उस को छोड़ देना उचित है।

15. जो दोषी को निर्दोष, और जो निर्दोष को दोषी ठहराता है, उन दोनों से यहोवा घृणा करता है।

16. बुद्धि मोल लेने के लिये मूर्ख अपने हाथ में दाम क्यों लिए है? वह उसे चाहता ही नहीं।

17. मित्र सब समयों में प्रेम रखता है, और विपत्ति के दिन भाई बन जाता है।

18. निर्बुद्धि मनुष्य हाथ पर हाथ मारता है, और अपने पड़ोसी के सामने उत्तरदायी होता है।

19. जो झगड़े-रगड़े में प्रीति रखता, वह अपराध करने में भी प्रीति रखता है, और जो अपने फाटक को बड़ा करता, वह अपने विनाश के लिये यत्न करता है।

20. जो मन का टेढ़ा है, उसका कल्याण नहीं होता, और उलट-फेर की बात करने वाला विपत्ति में पड़ता है।

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