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नीतिवचन 17:4-16 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

4. कुकर्मी अनर्थ बात को ध्यान देकर सुनता है, और झूठा मनुष्य दुष्टता की बात की ओर कान लगाता है।

5. जो निर्धन को ठट्ठों में उड़ाता है, वह उसके कर्त्ता की निन्दा करता है; और जो किसी की विपत्ति पर हंसता, वह निर्दोष नहीं ठहरेगा।

6. बूढ़ों की शोभा उनके नाती पोते हैं; और बाल-बच्चों की शोभा उनके माता-पिता हैं।

7. मूढ़ के मुख से उत्तम बात फबती नहीं, और अधिक करके प्रधान को झूठी बात नहीं फबती।

8. देने वाले के हाथ में घूस मोह लेने वाले मणि का काम देता है; जिधर ऐसा पुरूष फिरता, उधर ही उसका काम सुफल होता है।

9. जो दूसरे के अपराध को ढांप देता, वह प्रेम का खोजी ठहरता है, परन्तु जो बात की चर्चा बार बार करता है, वह परम मित्रों में भी फूट करा देता है।

10. एक घुड़की समझने वाले के मन में जितनी गड़ जाती है, उतना सौ बार मार खाना मूर्ख के मन में नहीं गड़ता।

11. बुरा मनुष्य दंगे ही का यत्न करता है, इसलिये उसके पास क्रूर दूत भेजा जाएगा।

12. बच्चा-छीनी-हुई-रीछनी से मिलना तो भला है, परन्तु मूढ़ता में डूबे हुए मूर्ख से मिलना भला नहीं।

13. जो कोई भलाई के बदले में बुराई करे, उसके घर से बुराई दूर न होगी।

14. झगड़े का आरम्भ बान्ध के छेद के समान है, झगड़ा बढ़ने से पहिले उस को छोड़ देना उचित है।

15. जो दोषी को निर्दोष, और जो निर्दोष को दोषी ठहराता है, उन दोनों से यहोवा घृणा करता है।

16. बुद्धि मोल लेने के लिये मूर्ख अपने हाथ में दाम क्यों लिए है? वह उसे चाहता ही नहीं।

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