पुराना विधान

नया विधान

नीतिवचन 17:17-28 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

17. मित्र सब समयों में प्रेम रखता है, और विपत्ति के दिन भाई बन जाता है।

18. निर्बुद्धि मनुष्य हाथ पर हाथ मारता है, और अपने पड़ोसी के सामने उत्तरदायी होता है।

19. जो झगड़े-रगड़े में प्रीति रखता, वह अपराध करने में भी प्रीति रखता है, और जो अपने फाटक को बड़ा करता, वह अपने विनाश के लिये यत्न करता है।

20. जो मन का टेढ़ा है, उसका कल्याण नहीं होता, और उलट-फेर की बात करने वाला विपत्ति में पड़ता है।

21. जो मूर्ख को जन्माता है वह उस से दु:ख ही पाता है; और मूढ़ के पिता को आनन्द नहीं होता।

22. मन का आनन्द अच्छी औषधि है, परन्तु मन के टूटने से हड्डियां सूख जाती हैं।

23. दुष्ट जन न्याय बिगाड़ने के लिये, अपनी गांठ से घूस निकालता है।

24. बुद्धि समझने वाले के साम्हने ही रहती है, परन्तु मूर्ख की आंखे पृथ्वी के दूर दूर देशों में लगी रहती है।

25. मूर्ख पुत्र से पिता उदास होता है, और जननी को शोक होता है।

26. फिर धर्मी से दण्ड लेना, और प्रधानों को सिधाई के कारण पिटवाना, दोनों काम अच्छे नहीं हैं।

27. जो संभल कर बोलता है, वही ज्ञानी ठहरता है; और जिसकी आत्मा शान्त रहती है, वही समझ वाला पुरूष ठहरता है।

28. मूढ़ भी जब चुप रहता है, तब बुद्धिमान गिना जाता है; और जो अपना मुंह बन्द रखता वह समझ वाला गिना जाता है॥

पूरा अध्याय पढ़ें नीतिवचन 17