पुराना विधान

नया विधान

नीतिवचन 16:24-33 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

24. मन भावने वचन मधु भरे छते की नाईं प्राणों को मीठे लगते, और हड्डियों को हरी-भरी करते हैं।

25. ऐसा भी मार्ग है, जो मनुष्य को सीधा देख पड़ता है, परन्तु उसके अन्त में मृत्यु ही मिलती है।

26. परिश्र्मी की लालसा उसके लिये परिश्रम करती है, उसकी भूख तो उस को उभारती रहती है।

27. अधर्मी मनुष्य बुराई की युक्ति निकालता है, और उसके वचनों से आग लग जाती है।

28. टेढ़ा मनुष्य बहुत झगड़े को उठाता है, और कानाफूसी करने वाला परम मित्रों में भी फूट करा देता है।

29. उपद्रवी मनुष्य अपने पड़ोसी को फुसला कर कुमार्ग पर चलाता है।

30. आंख मूंदने वाला छल की कल्पनाएं करता है, और ओंठ दबाने वाला बुराई करता है।

31. पक्के बाल शोभायमान मुकुट ठहरते हैं; वे धर्म के मार्ग पर चलने से प्राप्त होते हैं।

32. विलम्ब से क्रोध करना वीरता से, और अपने मन को वश में रखना, नगर के जीत लेने से उत्तम है।

33. चिट्ठी डाली जाती तो है, परन्तु उसका निकलना यहोवा ही की ओर से होता है।

पूरा अध्याय पढ़ें नीतिवचन 16