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नीतिवचन 16:1-13 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

1. मन की युक्ति मनुष्य के वश में रहती है, परन्तु मुंह से कहना यहोवा की ओर से होता है।

2. मनुष्य का सारा चाल चलन अपनी दृष्टि में पवित्र ठहरता है, परन्तु यहोवा मन को तौलता है।

3. अपने कामों को यहोवा पर डाल दे, इस से तेरी कल्पनाएं सिद्ध होंगी।

4. यहोवा ने सब वस्तुएं विशेष उद्देश्य के लिये बनाईं हैं, वरन दुष्ट को भी विपत्ति भोगने के लिये बनाया है।

5. सब मन के घमण्डियों से यहोवा घृणा करता है करता है; मैं दृढ़ता से कहता हूं, ऐसे लोग निर्दोष न ठहरेंगे।

6. अधर्म का प्रायश्चित कृपा, और सच्चाई से होता है, और यहोवा के भय मानने के द्वारा मनुष्य बुराई करने से बच जाते हैं।

7. जब किसी का चाल चलन यहोवा को भावता है, तब वह उसके शत्रुओं का भी उस से मेल कराता है।

8. अन्याय के बड़े लाभ से, न्याय से थोड़ा ही प्राप्त करना उत्तम है।

9. मनुष्य मन में अपने मार्ग पर विचार करता है, परन्तु यहोवा ही उसके पैरों को स्थिर करता है।

10. राजा के मुंह से दैवी वाणी निकलती है, न्याय करने में उस से चूक नहीं होती।

11. सच्चा तराजू और पलड़े यहोवा की ओर से होते हैं, थैली में जितने बटखरे हैं, सब उसी के बनवाए हुए हैं।

12. दुष्टता करना राजाओं के लिये घृणित काम है, क्योंकि उनकी गद्दी धर्म ही से स्थिर रहती है।

13. धर्म की बात बोलने वालों से राजा प्रसन्न होता है, और जो सीधी बातें बोलता है, उस से वह प्रेम रखता है।

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