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नीतिवचन 15:21-33 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

21. निर्बुद्धि को मूढ़ता से आनन्द होता है, परन्तु समझ वाला मनुष्य सीधी चाल चलता है।

22. बिना सम्मति की कल्पनाएं निष्फल हुआ करती हैं, परन्तु बहुत से मंत्रियों की सम्मत्ति से बात ठहरती है।

23. सज्जन उत्तर देने से आनन्दित होता है, और अवसर पर कहा हुआ वचन क्या ही भला होता है!

24. बुद्धिमान के लिये जीवन का मार्ग ऊपर की ओर जाता है, इस रीति से वह अधोलोक में पड़ने से बच जाता है।

25. यहोवा अहंकारियों के घर को ढा देता है, परन्तु विधवा के सिवाने को अटल रखता है।

26. बुरी कल्पनाएं यहोवा को घिनौनी लगती हैं, परन्तु शुद्ध जन के वचन मनभावने हैं।

27. लालची अपने घराने को दु:ख देता है, परन्तु घूस से घृणा करने वाला जीवित रहता है।

28. धर्मी मन में सोचता है कि क्या उत्तर दूं, परन्तु दुष्टों के मुंह से बुरी बातें उबल आती हैं।

29. यहोवा दुष्टों से दूर रहता है, परन्तु धर्मियों की प्रार्थना सुनता है।

30. आंखों की चमक से मन को आनन्द होता है, और अच्छे समाचार से हड्डियां पुष्ट होती हैं।

31. जो जीवनदायी डांट कान लगा कर सुनता है, वह बुद्धिमानों के संग ठिकाना पाता है।

32. जो शिक्षा को सुनी-अनसुनी करता, वह अपने प्राण को तुच्छ जानता है, परन्तु जो डांट को सुनता, वह बुद्धि प्राप्त करता है।

33. यहोवा के भय मानने से शिक्षा प्राप्त होती है, और महिमा से पहिले नम्रता होती है॥

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