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नीतिवचन 12:1-13 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

1. जो शिक्षा पाने में प्रीति रखता है वह ज्ञान से प्रीति रखता है, परन्तु जो डांट से बैर रखता, वह पशु सरीखा है।

2. भले मनुष्य से तो यहोवा प्रसन्न होता है, परन्तु बुरी युक्ति करने वाले को वह दोषी ठहराता है।

3. कोई मनुष्य दुष्टता के कारण स्थिर नहीं होता, परन्तु धर्मियों की जड़ उखड़ने की नहीं।

4. भली स्त्री अपने पति का मुकुट है, परन्तु जो लज्जा के काम करती वह मानो उसकी हड्डियों के सड़ने का कारण होती है।

5. धर्मियों की कल्पनाएं न्याय ही की होती हैं, परन्तु दुष्टों की युक्तियां छल की हैं।

6. दुष्टों की बातचीत हत्या करने के लिये घात लगाने के विषय में होती है, परन्तु सीधे लोग अपने मुंह की बात के द्वारा छुड़ाने वाले होते हैं।

7. जब दुष्ट लोग उलटे जाते हैं तब वे रहते ही नहीं, परन्तु धर्मियों का घर स्थिर रहता है।

8. मनुष्य कि बुद्धि के अनुसार उसकी प्रशंसा होती है, परन्तु कुटिल तुच्छ जाना जाता है।

9. जो रोटी की आस लगाए रहता है, और बड़ाई मारता है, उस से दास रखने वाला तुच्छ मनुष्य भी उत्तम है।

10. धर्मी अपने पशु के भी प्राण की सुधि रखता है, परन्तु दुष्टों की दया भी निर्दयता है।

11. जो अपनी भूमि को जोतता, वह पेट भर खाता है, परन्तु जो निकम्मों की संगति करता, वह निर्बुद्धि ठहरता है।

12. दुष्ट जन बुरे लोगों के जाल की अभिलाषा करते हैं, परन्तु धर्मियों की जड़ हरी भरी रहती है।

13. बुरा मनुष्य अपने दुर्वचनों के कारण फन्दे में फंसता है, परन्तु धर्मी संकट से निकास पाता है।

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