14. आंगन के द्वार के एक ओर के लिये पंद्रह हाथ के पर्दे बने; और उनके लिये तीन खम्भे और तीन कुसिर्यां थी।
15. और आंगन के द्वार की दूसरी ओर भी वैसा ही बना था; और आंगन के दरवाजे के इधर और उधर पंद्रह पंद्रह हाथ के पर्दे बने थे; और उनके लिये तीन ही खम्भे, और तीन ही तीन इनकी कुसिर्यां भी थीं।
16. आंगन की चारों ओर सब पर्दे सूक्ष्म बटी हुई सनी के कपड़े के बने हुए थे।
17. और खम्भों की कुसिर्यां पीतल की, और घुंडियां और छड़े चांदी की बनी, और उनके सिरे चांदी से मढ़े गए, और आंगन के सब खम्भे चांदी के छड़ों से जोड़े गए थे।
18. आंगन के द्वार के पर्दे पर बेल बूटे का काम किया हुआ था, और वह नीले, बैंजनी और लाल रंग के कपड़े का; और सूक्ष्म बटी हुई सनी के कपड़े के बने थे; और उसकी लम्बाई बीस हाथ की थी, और उसकी ऊंचाई आंगन की कनात की चौड़ाई के सामान पांच हाथ की बनी।