9. कूश और मिस्री उसको अनगिनित बल देते थे, पूत और लूबी तेरे सहायक थे॥
10. तौभी लोग उसको बंधुवाई में ले गए, और उसके नन्हें बच्चे सड़कों के सिरे पर पटक दिए गए; और उसके प्रतिष्ठित पुरूषों के लिये उन्होंने चिट्ठी डाली, और उसके सब रईस बेडिय़ों से जकड़े गए।
11. तू भी मतवाली होगी, तू घबरा जाएगी; तू भी शत्रु के डर के मारे शरण का स्थान ढूंढेगी।
12. तेरे सब गढ़ ऐसे अंजीर के वृक्षों के समान होंगे जिन में पहिले पक्के अंजीर लगे हों, यदि वे हिलाए जाएं तो फल खाने वाले के मुंह में गिरेंगे।
13. देख, तेरे लोग जो तेरे बीच में हैं, वे स्त्रियां बन गए हैं। तेरे देश में प्रवेश करने के मार्ग तेरे शत्रुओं के लिये बिलकुल खुले पड़े हैं; और रूकावट की छड़ें आग के कौर हो गई हैं॥