अध्याय

  1. 1
  2. 2
  3. 3
  4. 4
  5. 5
  6. 6
  7. 7
  8. 8
  9. 9
  10. 10
  11. 11
  12. 12
  13. 13
  14. 14
  15. 15
  16. 16
  17. 17
  18. 18
  19. 19
  20. 20
  21. 21
  22. 22
  23. 23
  24. 24
  25. 25
  26. 26
  27. 27
  28. 28
  29. 29
  30. 30
  31. 31
  32. 32
  33. 33
  34. 34
  35. 35
  36. 36

पुराना विधान

नया विधान

गिनती 9 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

1. इस्त्राएलियों के मिस्र देश से निकलने के दूसरे वर्ष के पहिले महीने में यहोवा ने सीनै के जंगल में मूसा से कहा,

2. इस्त्राएली फसह नाम पर्ब्ब को उसके नियत समय पर माना करें।

3. अर्थात इसी महीने के चौदहवें दिन को गोधूलि के समय तुम लोग उसे सब विधियों और नियमों के अनुसार मानना।

4. तब मूसा ने इस्त्राएलियों से फसह मानने के लिये कह दिया।

5. और उन्होंने पहले महीने के चौदहवें दिन को गोधूलि के समय सीनै के जंगल में फसह को माना; और जो जो आज्ञाएं यहोवा ने मूसा को दी थीं उन्हीं के अनुसार इस्त्राएलियों ने किया।

6. परन्तु कितने लोग किसी मनुष्य की लोथ के द्वारा अशुद्ध होने के कारण उस दिन फसह को न मान सके; वे उसी दिन मूसा और हारून के समीप जा कर मूसा से कहने लगे,

7. हम लोग एक मनुष्य की लोथ के कारण अशुद्ध हैं; परन्तु हम क्यों रूके रहें, और इस्त्राएलियों के संग यहोवा का चढ़ावा नियत समय पर क्यों न चढ़ाएं?

8. मूसा ने उन से कहा, ठहरे रहो, मैं सुन लूं कि यहोवा तुम्हारे विषय में क्या आज्ञा देता है।

9. यहोवा ने मूसा से कहा,

10. इस्त्राएलियों से कह, कि चाहे तुम लोग चाहे तुम्हारे वंश में से कोई भी किसी लोथ के कारण अशुद्ध हो, वा दूर की यात्रा पर हो, तौभी वह यहोवा के लिये फसह को माने।

11. वे उसे दूसरे महीने के चौदहवें दिन को गोधूलि के समय मानें; और फसह के बलिपशु के मांस को अखमीरी रोटी और कडुए सागपात के साथ खाएं।

12. और उस में से कुछ भी बिहान तक न रख छोड़े, और न उसकी कोई हड्डी तोड़े; वे उस पर्ब्ब को फसह की सारी विधियों के अनुसार मानें।

13. परन्तु जो मनुष्य शुद्ध हो और यात्रा पर न हो, परन्तु फसह के पर्ब्ब को न माने, वह प्राणी अपने लोगों में से नाश किया जाए, उस मनुष्य को यहोवा का चढ़ावा नियत समय पर न ले आने के कारण अपने पाप का बोझ उठाना पड़ेगा।

14. और यदि कोई परदेशी तुम्हारे साथ रहकर चाहे कि यहोवा के लिये फसह माने, तो वह उसी विधि और नियम के अनुसार उसको माने; देशी और परदेशी दोनों के लिये तुम्हारी एक ही विधि हो॥

15. जिस दिन निवास जो साक्षी का तम्बू भी कहलाता है खड़ा किया गया, उस दिन बादल उस पर छा गया; और सन्ध्या को वह निवास पर आग सा दिखाई दिया और भोर तक दिखाई देता रहा।

16. और नित्य ऐसा ही हुआ करता था; अर्थात दिन को बादल छाया रहता, और रात को आग दिखाई देती थी।

17. और जब जब वह बादल तम्बू पर से उठ जाता तब इस्त्राएली प्रस्थान करते थे; और जिस स्थान पर बादल ठहर जाता वहीं इस्त्राएली अपने डेरे खड़े करते थे।

18. यहोवा की आज्ञा से इस्त्राएली कूच करते थे, और यहोवा ही की आज्ञा से वे डेरे खड़े भी करते थे; और जितने दिन तक वह बादल निवास पर ठहरा रहता उतने दिन तक वे डेरे डाले पड़े रहते थे।

19. और जब जब बादल बहुत दिन निवास पर छाया रहता तब इस्त्राएली यहोवा की आज्ञा मानते, और प्रस्थान नहीं करते थे।

20. और कभी कभी वह बादल थोड़े ही दिन तक निवास पर रहता, और तब भी वे यहोवा की आज्ञा से डेरे डाले पड़े रहते थे और फिर यहोवा की आज्ञा ही से प्रस्थान करते थे।

21. और कभी कभी बादल केवल सन्ध्या से भोर तक रहता; और जब वह भोर को उठ जाता था तब वे प्रस्थान करते थे, और यदि वह रात दिन बराबर रहता तो जब बादल उठ जाता तब ही वे प्रस्थान करते थे।

22. वह बादल चाहे दो दिन, चाहे एक महीना, चाहे वर्ष भर, जब तक निवास पर ठहरा रहता तब तक इस्त्राएली अपने डेरों में रहते और प्रस्थान नहीं करते थे; परन्तु जब वह उठ जाता तब वे प्रस्थान करते थे।

23. यहोवा की आज्ञा से वे अपने डेरें खड़े करते, और यहोवा ही की आज्ञा से वे प्रस्थान करते थे; जो आज्ञा यहोवा मूसा के द्वारा देता था उसको वे माना करते थे॥