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गिनती 5:19-31 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

19. तब याजक स्त्री को शपथ धरवाकर कहे, कि यदि किसी पुरूष ने तुझ से कुकर्म न किया हो, और तू पति को छोड़ दूसरे की ओर फिर के अशुद्ध न हो गई हो, तो तू इस कडुवे जल के गुण से जो शाप का कारण होता है बची रहे।

20. पर यदि तू अपने पति को छोड़ दूसरे की ओर फिर के अशुद्ध हुई हो, और तेरे पति को छोड़ किसी दूसरे पुरूष ने तुझ से प्रसंग किया हो,

21. (और याजक उसे शाप देने वाली शपथ धराकर कहे,) यहोवा तेरी जांघ सड़ाए और तेरा पेट फुलाए, और लोग तेरा नाम ले कर शाप और धिक्कार दिया करें;

22. अर्थात वह जल जो शाप का कारण होता है तेरी अंतडिय़ों में जा कर तेरे पेट को फुलाए, और तेरी जांघ को सड़ा दे। तब वह स्त्री कहे, आमीन, आमीन।

23. तब याजक शाप के ये शब्द पुस्तक में लिखकर उस कडुवे जल से मिटाके,

24. उस स्त्री को वह कडुवा जल पिलाए जो शाप का कारण होता है, और वह जल जो शाप का कारण होगा उस स्त्री के पेट में जा कर कडुवा हो जाएगा।

25. और याजक स्त्री के हाथ में से जलन वाले अन्नबलि को ले कर यहोवा के आगे हिलाकर वेदी के समीप पहुंचाए;

26. और याजक उस अन्नबलि में से उसका स्मरण दिलाने वाला भाग, अर्थात मुट्ठी भर ले कर वेदी पर जलाए, और उसके बाद स्त्री को वह जल पिलाए।

27. और जब वह उसे वह जल पिला चुके, तब यदि वह अशुद्ध हुई हो और अपने पति का विश्वासघात किया हो, तो वह जल जो शाप का कारण होता है उस स्त्री के पेट में जा कर कडुवा हो जाएगा, और उसका पेट फूलेगा, और उसकी जांघ सड़ जाएगी, और उस स्त्री का नाम उसके लोगों के बीच स्रापित होगा।

28. पर यदि वह स्त्री अशुद्ध न हुई हो और शुद्ध ही हो, तो वह निर्दोष ठहरेगी और गभिर्णी हो सकेगी।

29. जलन की व्यवस्था यही है, चाहे कोई स्त्री अपने पति को छोड़ दूसरे की ओर फिर के अशुद्ध हो,

30. चाहे पुरूष के मन में जलन उत्पन्न हो और वह अपनी स्त्री पर जलने लगे; तो वह उसको यहोवा के सम्मुख खड़ी कर दे, और याजक उस पर यह सारी व्यवस्था पूरी करे।

31. तब पुरूष अधर्म से बचा रहेगा, और स्त्री अपने अधर्म का बोझ आप उठाएगी॥

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