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गिनती 30:4-10 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

4. तो यदि उसका पिता उसकी मन्नत वा उसका वह वचन सुनकर, जिस से उसने अपने आप को बान्धा हो, उससे कुछ न कहे; तब तो उसकी सब मन्नतें स्थिर बनी रहें, और कोई बन्धन क्यों न हो, जिस से उसने अपने आप को बान्धा हो, वह भी स्थिर रहे।

5. परन्तु यदि उसका पिता उसकी सुनकर उसी दिन उसको बरजे, तो उसकी मन्नतें वा और प्रकार के बन्धन, जिन से उसने अपने आप को बान्धा हो, उन में से एक भी स्थिर न रहे, और यहोवा यह जान कर, कि उस स्त्री के पिता ने उसे मना कर दिया है, उसका यह पाप क्षमा करेगा।

6. फिर यदि वह पति के आधीन हो और मन्नत माने, वा बिना सोच विचार किए ऐसा कुछ कहे जिस से वह बन्धन में पड़े,

7. और यदि उसका पति सुनकर उस दिन उससे कुछ न कहे; तब तो उसकी मन्नतें स्थिर रहें, और जिन बन्धनों से उसने अपने आप को बान्धा हो वह भी स्थिर रहें।

8. परन्तु यदि उसका पति सुनकर उसी दिन उसे मना कर दे, तो जो मन्नत उसने मानी है, और जो बात बिना सोच विचार किए कहने से उसने अपने आप को वाचा से बान्धा हो, वह टूट जाएगी; और यहोवा उस स्त्री का पाप क्षमा करेगा।

9. फिर विधवा वा त्यागी हुई स्त्री की मन्नत, वा किसी प्रकार की वाचा का बन्धन क्यों न हो, जिस से उसने अपने आप को बान्धा हो, तो वह स्थिर ही रहे।

10. फिर यदि कोई स्त्री अपने पति के घर में रहते मन्नत माने, वा शपथ खाकर अपने आप को बान्धे,

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