14. और सब से पहले तो यहूदियों की छावनी के झंडे का प्रस्थान हुआ, और वे दल बान्धकर चले; और उन का सेनापति अम्मीनादाब का पुत्र नहशोन था।
15. और इस्साकारियों के गोत्र का सेनापति सूआर का पुत्र नतनेल था।
16. और जबूलूनियों के गोत्र का सेनापति हेलोन का पुत्र एलीआब था।
17. तब निवास उतारा गया, और गेर्शोनियोंऔर मरारियों ने जो निवास को उठाते थे प्रस्थान किया।
18. फिर रूबेन की छावनी झंडे का कूच हुआ, और वे भी दल बनाकर चले; और उनका सेनापति शदेऊर का पुत्र एलीशूर था।
19. और शिमोनियों के गोत्र का सेनापति सूरीशद्दै का पुत्र शलूमीएल था।
20. और गादियों के गोत्र का सेनापति दूएल का पुत्र एल्यासाप था।
21. तब कहातियों ने पवित्र वस्तुओं को उठाए हुए प्रस्थान किया, और उनके पहुंचने तक गेर्शोनियोंऔर मरारियों ने निवास को खड़ा कर दिया।
22. फिर एप्रैमियों की छावनी के झंडे का कूच हुआ, और वे भी दल बनाकर चले; और उनका सेनापति अम्मीहूद का पुत्र एलीशामा था।
23. और मनश्शेइयों के गोत्र को सेनापति पदासूर का पुत्र गम्लीएल था।
24. और बिन्यामीनियों के गोत्र का सेनापति गिदोनी का पुत्र अबीदान था।
25. फिर दानियों की छावनी जो सब छावनियों के पीछे थी, उसके झंडे का प्रस्थान हुआ, और वे भी दल बना कर चले; और उनका सेनापति अम्मीशद्दै का पुत्र अहीएजेर था।
26. और आशेरियों के गोत्र का सेनापति ओक्रान का पुत्र पक्कीएल था।
27. और नप्तालियों के गोत्र का सेनापति एनान का पुत्र अहीरा था।
28. इस्त्राएली इसी प्रकार अपने अपने दलों के अनुसार प्रस्थान करते, और आगे बढ़ा करते थे।
29. और मूसा ने अपने ससुर रूएल मिद्यानी के पुत्र होबाब से कहा, हम लोग उस स्थान की यात्रा करते हैं जिसके विषय में यहोवा ने कहा है, कि मैं उसे तुम को दूंगा; सो तू भी हमारे संग चल, और हम तेरी भलाई करेंगे; क्योंकि यहोवा ने इस्त्राएल के विषय में भला ही कहा है।
30. होबाब ने उसे उत्तर दिया, कि मैं नहीं जाऊंगा; मैं अपने देश और कुटुम्बियों में लौट जाऊंगा।