8. यहोवा की यह वाणी है, क्या मैं उस समय एदोम में से बुद्धिमानों को, और ऐसाव के पहाड़ में से चतुराई को नाश न करूंगा?
9. और हे तेमान, तेरे शूरवीरों का मन कच्चा न हो जाएगा, और यों ऐसाव के पहाड़ पर का हर एक पुरूष घात हो कर नाश हो जाएगा।
10. हे ऐसाव, उस उपद्रव के कारण जो तू ने अपने भाई याकूब पर किया, तू लज्जा से ढंपेगा; और सदा के लिये नाश हो जाएगा।
11. जिस दिन परदेशी लोग उसकी धन सम्पत्ति छीन कर ले गए, और बिराने लोगों ने उसके फाटकों से घुस कर यरूशलेम पर चिट्ठी डाली, उस दिन तू भी उन में से एक था।
12. परन्तु तुझे उचित न था कि तू अपने भाई के दिन में, अर्थात उसकी विपत्ति के दिन में उसकी ओर देखता रहता, और यहूदियों के नाश होने के दिन उन के ऊपर आनन्द करता, और उन के संकट के दिन बड़ा बोल बोलता।
13. तुझे उचित न था कि मेरी प्रजा की विपत्ति के दिन तू उस के फाटक से घुसता, और उसकी विपत्ति के दिन उसकी धन सम्पत्ति पर हाथ लगाता।