1. ओबद्याह का दर्शन॥ हम लोगों ने यहोवा की ओर से समाचार सुना है, और एक दूत अन्यजातियों में यह कहने को भेजा गया है:
2. उठो! हम उस से लड़ने को उठें! मैं तुझे जातियों में छोटा कर दूंगा, तू बहुत तुच्छ गिना जाएगा।
3. हे पहाड़ों की दरारों में बसने वाले, हे ऊंचे स्थान में रहने वाले, तेरे अभिमान ने तुझे धोखा दिया है; तू मन में कहता है,
4. कौन मुझे भूमि पर उतार देगा? परन्तु चाहे तू उकाब की नाईं ऊंचा उड़ता हो, वरन तारागण के बीच अपना घोंसला बनाए हो, तौभी मैं तुझे वहां से नीचे गिराऊंगा, यहोवा की यही वाणी है॥
5. यदि चोर-डाकू रात को तेरे पास आते, (हाय, तू कैसे मिटा दिया गया है!) तो क्या वे चुराए हुए धन से तृप्त हो कर चले न जाते? और यदि दाख के तोड़ने वाले तेरे पास आते, तो क्या वे कहीं कहीं दाख न छोड़ जाते?
6. परन्तु ऐसाव का धन कैसे खोज कर लूटा गया है, उसका गुप्त धन कैसे पता लगा लगाकर निकाला गया है!