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एस्तेर 8:9-17 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

9. सो उसी समय अर्थात सीवान नाम तीसरे महीने के तेईसवें दिन को राजा के लेखक बुलवाए गए और जिस जिस बात की आज्ञा मोर्दकै ने उन्हें दी थी उसे यहूदियों और अधिपतियोंऔर हिन्दुस्तान से ले कर कूश तक, जो एक सौ सत्ताईस प्रान्त हैं, उन सभों के अधिपतियों और हाकिमों को एक एक प्रान्त के अक्षरों में और एक एक देश के लोगों की भाषा में, और यहूदियों को उनके अक्षरों और भाषा में लिखी गई।

10. मोर्दकै ने राजा क्षयर्ष के नाम से चिट्ठियां लिखा कर, और उन पर राजा की अंगूठी की छाप लगाकर, वेग चलने वाले सरकारी घोड़ों, खच्चरोंऔर सांड़नियों की डाक लगा कर, हरकारों के हाथ भेज दीं।

11. इन चिट्ठियों में सब नगरों के यहूदियों को राजा की ओर से अनुमति दी गई, कि वे इकट्ठे हों और अपना अपना प्राण बचाने के लिये तैयार हो कर, जिस जाति वा प्रान्त से लोग अन्याय कर के उन को वा उनकी स्त्रियों और बाल-बच्चों को दु:ख देना चाहें, उन को विध्वंसघात और नाश करें, और उनकी धन सम्मत्ति लूट लें।

12. और यह राजा क्षयर्ष के सब प्रान्तों में एक ही दिन में किया जाए, अर्थात अदार नाम बारहवें महीने के तेरहवें दिन को।

13. इस आज्ञा के लेख की नकलें, समस्त प्रान्तों में सब देशें के लोगों के पास खुली हुई भेजी गईं; ताकि यहूदी उस दिन अपने शत्रुओं से पलटा लेने को तैयार रहें।

14. सो हरकारे वेग चलने वाले सरकारी घोड़ों पर सवार हो कर, राजा की आज्ञा से फुतीं कर के जल्दी चले गए, और यह आज्ञा शूशन राजगढ़ में दी गई थी।

15. तब मोर्दकै नीले और श्वेत रंग के राजकीय वस्त्र पहिने और सिर पर सोने का बड़ा मुमुट धरे हुए और सूक्ष्मसन और बैंजनी रंग का बागा पहिने हुए, राजा के सम्मुख से निकला, और शूशन नगर के लोग आनन्द के मारे ललकार उठे।

16. और यहूदियों को आनन्द और हर्ष हुआ और उनकी बड़ी प्रतिष्ठा हुई।

17. और जिस जिस प्रान्त, और जिस जिस नगर में, जहां कहीं राजा की आज्ञा और नियम पहुंचे, वहां वहां यहूदियों को आनन्द और हर्ष हुआ, और उन्होंने जेवनार कर के उस दिन को खुशी का दिन माना। और उस देश के लोगों में से बहुत लोग यहूदी बन गए, क्योंकि उनके मन में यहूदियों का डर समा गया था।

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