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उत्पत्ति 50:10-21 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

10. जब वे आताद के खलिहान तक, जो यरदन नदी के पार है पहुंचे, तब वहां अत्यन्त भारी विलाप किया, और यूसुफ ने अपने पिता के सात दिन का विलाप कराया।

11. आताद के खलिहान में के विलाप को देखकर उस देश के निवासी कनानियों ने कहा, यह तो मिस्रियों का कोई भारी विलाप होगा, इसी कारण उस स्थान का नाम आबेलमिस्रैम पड़ा, और वह यरदन के पार है।

12. और इस्राएल के पुत्रों ने उससे वही काम किया जिसकी उसने उन को आज्ञा दी थी:

13. अर्थात उन्होंने उसको कनान देश में ले जाकर मकपेला की उस भूमिवाली गुफा में, जो मम्रे के साम्हने हैं, मिट्टी दी; जिस को इब्राहीम ने हित्ती एप्रोन के हाथ से इस निमित्त मोल लिया था, कि वह कबरिस्तान के लिये उसकी निज भूमि हो॥

14. अपने पिता को मिट्टी देकर यूसुफ अपने भाइयोंऔर उन सब समेत, जो उसके पिता को मिट्टी देने के लिये उसके संग गए थे, मिस्र में लौट आया।

15. जब यूसुफ के भाइयों ने देखा कि हमारा पिता मर गया है, तब कहने लगे, कदाचित यूसुफ अब हमारे पीछे पड़े, और जितनी बुराई हम ने उससे की थी सब का पूरा पलटा हम से ले।

16. इसलिये उन्होंने यूसुफ के पास यह कहला भेजा, कि तेरे पिता ने मरने से पहिले हमें यह आज्ञा दी थी,

17. कि तुम लोग यूसुफ से इस प्रकार कहना, कि हम बिनती करते हैं, कि तू अपने भाइयों के अपराध और पाप को क्षमा कर; हम ने तुझ से बुराई तो की थी, पर अब अपने पिता के परमेश्वर के दासों का अपराध क्षमा कर। उनकी ये बातें सुनकर यूसुफ रो पड़ा।

18. और उसके भाई आप भी जाकर उसके साम्हने गिर पड़े, और कहा, देख, हम तेरे दास हैं।

19. यूसुफ ने उन से कहा, मत डरो, क्या मैं परमेश्वर की जगह पर हूं?

20. यद्यपि तुम लोगों ने मेरे लिये बुराई का विचार किया था; परन्तु परमेश्वर ने उसी बात में भलाई का विचार किया, जिस से वह ऐसा करे, जैसा आज के दिन प्रगट है, कि बहुत से लोगों के प्राण बचे हैं।

21. सो अब मत डरो: मैं तुम्हारा और तुम्हारे बाल-बच्चों का पालन पोषण करता रहूंगा; इस प्रकार उसने उन को समझा बुझाकर शान्ति दी॥

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