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उत्पत्ति 47:1-14 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

1. तब यूसुफ ने फिरौन के पास जा कर यह समाचार दिया, कि मेरा पिता और मेरे भाई, और उनकी भेड़-बकरियां, गाय-बैल और जो कुछ उनका है, सब कनान देश से आ गया है; और अभी तो वे गोशेन देश में हैं।

2. फिर उसने अपने भाइयों में से पांच जन ले कर फिरौन के साम्हने खड़े कर दिए।

3. फिरौन ने उसके भाइयों से पूछा, तुम्हारा उद्यम क्या है? उन्होंने फिरौन से कहा, तेरे दास चरवाहे हैं, और हमारे पुरखा भी ऐसे ही रहे।

4. फिर उन्होंने फिरौन से कहा, हम इस देश में परदेशी की भांति रहने के लिये आए हैं; क्योंकि कनान देश में भारी अकाल होने के कारण तेरे दासों को भेड़-बकरियों के लिये चारा न रहा: सो अपने दासों को गोशेन देश में रहने की आज्ञा दे।

5. तब फिरौन ने यूसुफ से कहा, तेरा पिता और तेरे भाई तेरे पास आ गए हैं,

6. और मिस्र देश तेरे साम्हने पड़ा है; इस देश का जो सब से अच्छा भाग हो, उस में अपने पिता और भाइयों को बसा दे; अर्थात वे गोशेन ही देश में रहें: और यदि तू जानता हो, कि उन में से परिश्रमी पुरूष हैं, तो उन्हें मेरे पशुओं के अधिकारी ठहरा दे।

7. तब यूसुफ ने अपने पिता याकूब को ले आकर फिरौन के सम्मुख खड़ा किया: और याकूब ने फिरौन को आशीर्वाद दिया।

8. तब फिरौन ने याकूब से पूछा, तेरी अवस्था कितने दिन की हुई है?

9. याकूब ने फिरौन से कहा, मैं तो एक सौ तीस वर्ष परदेशी हो कर अपना जीवन बीता चुका हूं; मेरे जीवन के दिन थोड़े और दु:ख से भरे हुए भी थे, और मेरे बापदादे परदेशी हो कर जितने दिन तक जीवित रहे उतने दिन का मैं अभी नहीं हुआ।

10. और याकूब फिरौन को आशीर्वाद देकर उसके सम्मुख से चला गया।

11. तब यूसुफ ने अपने पिता और भाइयों को बसा दिया, और फिरौन की आज्ञा के अनुसार मिस्र देश के अच्छे से अच्छे भाग में, अर्थात रामसेस नाम देश में, भूमि देकर उन को सौंप दिया।

12. और यूसुफ अपने पिता का, और अपने भाइयों का, और पिता के सारे घराने का, एक एक के बालबच्चों के घराने की गिनती के अनुसार, भोजन दिला दिलाकर उनका पालन पोषण करने लगा॥

13. और उस सारे देश में खाने को कुछ न रहा; क्योंकि अकाल बहुत भारी था, और अकाल के कारण मिस्र और कनान दोनों देश नाश हो गए।

14. और जितना रूपया मिस्र और कनान देश में था, सब को यूसुफ ने उस अन्न की सन्ती जो उनके निवासी मोल लेते थे इकट्ठा करके फिरौन के भवन में पहुंचा दिया।

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