31. तब यूसुफ ने अपने भाइयों से और अपने पिता के घराने से कहा, मैं जा कर फिरौन को यह समाचार दूंगा, कि मेरे भाई और मेरे पिता के सारे घराने के लोग, जो कनान देश में रहते थे, वे मेरे पास आ गए हैं।
32. और वे लोग चरवाहे हैं, क्योंकि वे पशुओं को पालते आए हैं; इसलिये वे अपनी भेड़-बकरी, गाय-बैल, और जो कुछ उनका है, सब ले आए हैं।
33. जब फिरौन तुम को बुलाके पूछे, कि तुम्हारा उद्यम क्या है?
34. तब यह कहना कि तेरे दास लड़कपन से ले कर आज तक पशुओं को पालते आए हैं, वरन हमारे पुरखा भी ऐसा ही करते थे। इस से तुम गोशेन देश में रहने पाओगे; क्योंकि सब चरवाहों से मिस्री लोग घृणा करते हैं॥