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उत्पत्ति 46:25-34 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

25. बिल्हा, जिसे लाबान ने अपनी बेटी राहेल को दिया, उस के बेटे पोते ये ही हैं; उसके द्वारा याकूब के वंश में सात प्राणी हुए।

26. याकूब के निज वंश के जो प्राणी मिस्र में आए, वे उसकी बहुओं को छोड़ सब मिलकर छियासठ प्राणी हुए।

27. और यूसुफ के पुत्र, जो मिस्र में उससे उत्पन्न हुए, वे दो प्राणी थे: इस प्रकार याकूब के घराने के जो प्राणी मिस्र में आए सो सब मिलकर सत्तर हुए॥

28. फिर उसने यहूदा को अपने आगे यूसुफ के पास भेज दिया, कि वह उसको गोशेन का मार्ग दिखाए; और वे गोशेन देश में आए।

29. तब यूसुफ अपना रथ जुतवाकर अपने पिता इस्राएल से भेंट करने के लिये गोशेन देश को गया, और उससे भेंट करके उसके गले से लिपटा और कुछ देर तक उसके गले से लिपटा हुआ रोता रहा।

30. तब इस्राएल ने यूसुफ से कहा, मैं अब मरने से भी प्रसन्न हूं, क्योंकि तुझे जीवित पाया और तेरा मुंह देख लिया।

31. तब यूसुफ ने अपने भाइयों से और अपने पिता के घराने से कहा, मैं जा कर फिरौन को यह समाचार दूंगा, कि मेरे भाई और मेरे पिता के सारे घराने के लोग, जो कनान देश में रहते थे, वे मेरे पास आ गए हैं।

32. और वे लोग चरवाहे हैं, क्योंकि वे पशुओं को पालते आए हैं; इसलिये वे अपनी भेड़-बकरी, गाय-बैल, और जो कुछ उनका है, सब ले आए हैं।

33. जब फिरौन तुम को बुलाके पूछे, कि तुम्हारा उद्यम क्या है?

34. तब यह कहना कि तेरे दास लड़कपन से ले कर आज तक पशुओं को पालते आए हैं, वरन हमारे पुरखा भी ऐसा ही करते थे। इस से तुम गोशेन देश में रहने पाओगे; क्योंकि सब चरवाहों से मिस्री लोग घृणा करते हैं॥

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