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उत्पत्ति 45:15-26 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

15. तब वह अपने सब भाइयों को चूम कर उन से मिल कर रोया: और इसके पश्चात उसके भाई उससे बातें करने लगे॥

16. इस बात की चर्चा, कि यूसुफ के भाई आए हैं, फिरौन के भवन तब पंहुच गई, और इस से फिरौन और उसके कर्मचारी प्रसन्न हुए।

17. सो फिरौन ने यूसुफ से कहा, अपने भाइयों से कह, कि एक काम करो, अपने पशुओं को लादकर कनान देश में चले जाओ।

18. और अपने पिता और अपने अपने घर के लोगों को ले कर मेरे पास आओ; और मिस्र देश में जो कुछ अच्छे से अच्छा है वह मैं तुम्हें दूंगा, और तुम्हें देश के उत्तम से उत्तम पदार्थ खाने को मिलेंगे।

19. और तुझे आज्ञा मिली है, तुम एक काम करो, कि मिस्र देश से अपने बालबच्चों और स्त्रियों के लिये गाडियां ले जाओ, और अपने पिता को ले आओ।

20. और अपनी सामग्री का मोह न करना; क्योंकि सारे मिस्र देश में जो कुछ अच्छे से अच्छा है सो तुम्हारा है।

21. और इस्राएल के पुत्रों ने वैसा ही किया। और यूसुफ ने फिरौन की मान के उन्हें गाडियां दी, और मार्ग के लिये सीधा भी दिया।

22. उन में से एक एक जन को तो उसने एक एक जोड़ा वस्त्र भी दिया; और बिन्यामीन को तीन सौ रूपे के टुकड़े और पांच जोड़े वस्त्र दिए।

23. और अपने पिता के पास उसने जो भेजा वह यह है, अर्थात मिस्र की अच्छी वस्तुओं से लदे हुए दस गदहे, और अन्न और रोटी और उसके पिता के मार्ग के लिये भोजनवस्तु से लदी हुई दस गदहियां।

24. और उसने अपने भाइयों को विदा किया, और वे चल दिए; और उसने उन से कहा, मार्ग में कहीं झगड़ा न करना।

25. मिस्र से चलकर वे कनान देश में अपने पिता याकूब के पास पहुंचे।

26. और उससे यह वर्णन किया, कि यूसुफ अब तक जीवित है, और सारे मिस्र देश पर प्रभुता वही करता है। पर उसने उनकी प्रतीति न की, और वह अपने आपे में न रहा।

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